Monday, September 21, 2009

सेकुलर भटनागर - श्री राम द्वापर युग (त्रेता नहीं) मैं अवतार लिए थे !!!



भारतीय राजस्व सेवा में कार्यरत पुष्कर भटनागर ने अमेरिका से 'प्लैनेटेरियम गोल्ड' साफ्टवेयर के सहारे रामायण काल की सूर्य/ चंद्रमा तथा अन्य ग्रहों की स्थिति तथा खगोलीय पद्धति से भगवान् राम की जन्म तिथि (आधुनिक अंग्रेजी कैलेण्डर) 5114 ई.पू. निकाली है | तो भटनागर जी साफ्टवेयर के सहारे कह रहे हैं की भगवान् राम का जन्म द्वापर मैं हुआ था त्रेता मैं नहीं, क्योंकि 5114 ई.पू. तो द्वापर युग ही चल रहा था | लगभग सभी वैदिक विद्वान् उनके द्बारा दिए गए तिथि को गलत साबित किया है | आईये देखते हैं कैसे :
* वही रामायण (जिसपे भटनागर जी की गणना आधारित है) कहती है भगवन राम त्रेता युग मैं आये थे | कलि युग मैं ४,३२,००० (४ लाख ३२ हज़ार वर्ष), द्वापर मैं ८,६४,००० (८ लाख ६४ हज़ार) और त्रेता युग मैं १७,२८,००० (१७ लाख २८ हज़ार ) वर्ष हैं | reference :


http://www.encyclopediaofauthentichinduism.org/images/articles/devanagari/51.3.gif
http://www.encyclopediaofauthentichinduism.org/articles/51_the_bhartiya_chronology.htm
त्रेता युग, कलि और द्वापर के पहले था | तो भगवन राम का जन्म कलियुग के अबतक बीते वर्षों ५१०० + द्वापर युग के ८,६४,००० = ८, ६९, १०० (८ लाख ५९ हज़ार कम से कम ) तो अवश्य ही होगे | इसमें तो कोई दो राय होनी ही नहीं चाहिए | ये तो यहीं सिद्ध हो गया की भगवन का जन्म 5114 ई.पू. गलत है |
हिन्दुओं के सारे ग्रन्थ कलि युग मैं ४ लाख ३२ हज़ार, द्वापर मैं ८ लाख ६४ हज़ार और त्रेता युग मैं १७ लाख २८ हज़ार वर्ष ही बताते हैं | और लगभग सभी पुराण, महाभारत और अन्य ग्रन्थ स्पस्ट रूप से कहता है - भगवान् राम का जन्म लगभग १८ लाख वर्ष पूर्व हुआ था | जब सारे ग्रन्थ ये कह रहा है की राम का जन्म लगभग १८ लाख वर्ष पूर्व हुआ तो भटनागर साहब को मानने मैं क्या तकलीफ है? ये तो वही बात हुई की सारे ग्रंथों को नहीं मानता पर उसी ग्रन्थ से २-४ श्लोक निकाल के मैं अपने ढंग से अपनी कल्पना और अनुमान से गलत तिथि निकालूँगा | जब पुरे ग्रन्थ को नहीं मानते तो उसी ग्रन्थ से ग्रहों की स्थिति लेने की क्या आवश्यकता?
* 'प्लैनेटेरियम गोल्ड' साफ्टवेयर को इतिहास के ग्रहों की स्थिति के लिए तैयार किया ही नहीं गया है | इतिहास मैं वर्णित ग्रहों , नक्षत्रों की स्थिति के आधार पे कोई निश्चित तिथि निकालने के लिए Archeoastronomy (as just like archeology it can help date events as described in literature. Also, it touches on ancient calendar systems, concepts of time and space, mathematics especially counting systems and geometry, navigation, and architecture.) का सहारा लिया जाता है | जब 'प्लैनेटेरियम गोल्ड' साफ्टवेयर Archeoastronomy पे आधारित ही नहीं है तो ये इतिहास की सही सही तिथि कैसे बता सकती है ?
मुझे लगता है पुष्कर भटनागर ने भगवान् राम का गलत जन्म तिथि निकाल कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की है | लगता है पुष्कर भटनागर जी पूरी रामायण पढ़े बिना ही चल दिए भगवान् राम की जन्म तिथि निकालने |
NOTE: हमारे कुछ हिन्दू ब्लॉगर बंधू जाने अनजाने भटनागर जैसे लोगों का समर्थन कर देते हैं | हिन्दू ब्लॉगर बंधुओं से मेरा नम्र निवेदन है की वैदिक सभ्यता पर लिखने से पहले वैदिक सभ्यता की कुछ प्रमाणिक पुस्तक उठा कर जांच लें की आप जो लिखने जा रहे हैं वो सही है या नहीं |

14 comments:

Mohammed Umar Kairanvi said...
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Mohammed Umar Kairanvi said...
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Anonymous said...

दरअसल अंग्रेज ये मान ही नहीं सकते की ५००० वर्ष पहले कोई सफल सभ्यता थी, क्योकि उनका ज्ञात इतिहास केवल ५००० वर्ष ही है (सुमेरु सभ्यता इत्यादि )| वैसे भी अंग्रेजी और हिन्दू कैलेंडर में अंतर है, हिन्दू कलेंदेर्स में १ महिना ज्यादा होता है उतने ही समय में | रही भगवान् राम के जन्म की बात तो वो हमेशा विवाद का विषय रहेगा क्योकि इसमें सबके अपने अपने स्वार्थ है | ध्यान केवल इतना देना है की क्या हम उनके चरित्र को अपने बाचो में दे पायेंगे ? वो भी ऐसे कलयुग में जहा धर्म के नाम पे मुसलमान और क्रिस्टियन समाज के लोग कुछ भी कर सकते है ......... जैसे की पूरे विश्व की शान्ति को पेचले २००० सालो से इन्होने असंतुलित कर रखा है ?

Mishra Pankaj said...

राकेश भाई नमस्कार !

काफी दिन बाद पर खोजी खबर ,
मै क्या बोलू मुझे तो खुश खाश अनुभव नहीं इस बारे में

रंजना said...

बिलकुल सही कहा आपने....ज्ञान के ठेकेदारों के लिए यह मान पाना बड़ा ही कठिन है कि उनके ज्ञान की सीमा बहुत ही संकुचित है...

वेद,पुराणों और संस्कृत भाषा को आम भारतीय जनजीवन से इसलिए निकाल दिया गया कि हम उनके अधकचरे ज्ञान के प्रति नतमस्तक रह सकें और आँख मूंदकर उनकी बातों को मान लिया करें...

एनोनेमस (अनाम जी) के टिपण्णी में कही गयी बातों से मैं सहमत हूँ..

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

राकेश जी, क्या कहा जाए.....शायद हिन्दू धर्म,सभ्यता और संस्कृ्ति का इतना नुक्सान किन्ही बाहरी लोगों द्वारा नहीं किया गया होगा जितना कि आजतक अपने ही लोग किए जा रहे हैं। बस सस्ती लोकप्रियता की खातिर जिसका जो मन करता है,लिखे जा रहा है......

स्वप्न मञ्जूषा said...

न धर्म ने मारा न जात ने मारा मुझे तो अपनों की बात ने मारा..
इनदिनों हिन्दुस्तान में एक अनोखा ट्रेंड चला है..
गर आप हिन्दुओं के पक्ष में बोलते हैं तो आप terrorist हैं और अगर आप हिन्दुओं के विपक्ष में बोलते हैं तो आप सेकुलर हैं...हम हिन्दुओं को वैसे चाहे सच बोलने की आदत न हो लेकिन जब भी धर्म की बात आती है हम अपना सेकुलारपना जरूर दिखाना चाहते हैं फिर चाहे उससे कितनी भी क्षति होती हो....एक अदना सी कंपनी 'ईस्ट इंडिया कंपनी' जो सिर्फ मसालों को व्यापार करने आई थी २०० वर्षों तक भारत को गुलाम बना गयी ..क्यूँ ? क्यूंकि हमेशा की तरह हममे एकता नहीं थी...
अब बात करते हैं इस सॉफ्टवेर की....यह सिर्फ एक सॉफ्टवेर है और इसे बने भी है हमारे जैसे लोगों ने या फिर हमसे ज्यादा गुनी लोगों ने ..लेकिन बनाया है इंसान ने ही...और कुछ भी हो उसकी लिमिटेशन होगी ही होगी...
आज हिमालय पर्वत खडा है भारत के उत्तर में....अब अगर हम कहें की भारत के उत्तर में आज से हजारों वर्ष पहले समुद्र था तो लोग आर्श्चय कर सकते हैं लेकिन यह सत्य है...आज भी हिमालय पर गोल पत्थर मिलते हैं ...उसकी संरचना परतदार है और यह भी एक कारण है की वो घहरता रहता है....
समस्या यह नहीं है कि भटनागर जी के कह रहे हैं समस्या है कि वो कह रहे हैं और हमसब सुन कर चुप बैठे हैं, बल्कि पलीता लगाने के लिए दो-चार और सामने आ जायेगे....धर्म कोई भी बुरा नहीं है ....बुराई इस बात में है आप उस धर्म को अपनाते कैसे हैं और उसके बाद उसे जीते कैसे हैं ...जान-बूझ कर जनमानस कि भावनाओं से खेलना कोई भी धर्म अच्छा नहीं कहता है ...मेरे ख्याल से हिन्दू धर्माध्यक्षों को भी 'फतवा' को अपनाना चाहिए...जो भी हिन्दू धर्म के विरोध में बोले उसके लिए हमें भी 'फतवा' जारी करना ही चाहिए...और इसके लिए किसी भी धर्म विशेष को आपत्ति भी नहीं होगी क्यूंकि हम कुछ सीख ही रहे हैं दूसरों से...

Urmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने! बिल्कुल सही बात कहा है आपने और बड़े ही सुंदर रूप से प्रस्तुत किया है!

वीरेन्द्र वत्स said...

इस तर्कसंगत व्याख्या के लिए बधाई

Atmaram Sharma said...

राकेश जी, बहुत बढ़िया. तर्क का उत्तर तर्क से ही दिया जाना चाहिये. आपने सटीक उत्तर दिया है. इस पूरे प्रकरण पर मैं इतना भर निवेदन करना चाहता हूँ कि इतिहास और पुराण के बीच बहुत बारीक फर्क होता है. लिहाजा इस फर्क को समझने के लिए पूरी सनातन परम्परा को समग्रता के साथ समझना होगा. तुलसी बाबा बहुत पहले ही कह गए हैं - रामकथा (राम का कोई भी संदर्भ हो) के ते अधिकारी, जिनके सत्संगत अति प्यारी.

Murari Pareek said...

हिन्दू धर्म की तो यह स्थिति है की बाड़ ही खेत को खा रही है | पाश्चात्य करण का विचार और आचार सभी ग्रास बन रहे हैं|

vivek said...

Bhai ji jaha tak maine suna hai ki iss software ke hisab se ek jaisi khagoliye stithi ek nischit antral ke bad bar bar aati rahti hai uske aur kuch anya sloko ke sandarbh se yahi pata chalta hai ki Ram ka janam lakho barash purv hi hua tha

मुकेश कुमार तिवारी said...

राकेश जी,

प्रभु श्रीराम के जन्मकाल के विषयक बड़ी ही तर्कपूर्ण, तथ्यात्मक प्रमाणों पर आधारित आलेख अच्छा लगा।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

कवितायन पर आपके आने का शुक्रिया!!!

kshama said...

Samajh me nahee ata ,ki, kaun kisliye kya karta hai!