Friday, September 11, 2009

विलियम शेक्सपीयर सांप्रदायिक था, क्या?


महान विलियम शेक्सपीयर के लेखन के विभिन्न पहलुओं पर काफी चर्चा हुई है | पर शायद एक ऐसा पहलु  भी है, जिस पर हिंदी जगत मैं बहुत कम चर्चा हुई है | शेक्सपीयर के प्रशंसकों को ये आलेख थोडा अटपटा जरुर लगेगा | जो भी हो, किसी की भावना को ठेंस पहुँचती है तो मैं पहले से ही क्षमा मांग लेता हूँ , पर मेरी गुजारिश है की इसपे गौर जरुर करें |  

किसी लेखक का पूर्वाग्रही और सांप्रदायिक होने नयी बात नहीं | इतिहास के पन्नो मैं आपको कई बड़े विचारक - लेखक पूर्वाग्रही और सांप्रदायिक मिलेंगे, उन्ही लेखकों मैं से एक थे सर विलियम शेक्सपीयर | विश्व प्रसिद्द The Merchant Of Venice नाटक मैं उन्होंने एक पात्र चुना Shylock, निहायत शैतान, निर्दयी और बदला लेने के लिए किसी भी सीमा तक निचे गिरने वाला सूदखोर | Shylock यहूदी (Jew) धर्म का अनुयायी होता है | Antonio एक सहृदय सुन्दर पात्र पर इसाई धर्मावलम्बी | Shylock अपने इसाई मित्र Antonio को उधार मैं पैसे देता है, पर एक वीभत्स शर्त के साथ - Antonio, Shylock को ये अधिकार देता है की यदि Antonio उधार का पैसा वापस नहीं कर पाता है तो Shylock एंटोनियो के ह्रदय से मांस का टुकडा निकाल सकता है | जब दिवालिया घोषित एंटोनियो पैसा वापस नहीं कर पाता है तो Shylock एंटोनियो से शर्त के मुताबिक उसके ह्रदय से मांस का टुकडा माँगता है | ...... इसे लिखते समय आखिर विलियम शेक्सपीयर की मनोदशा क्या रही होगी ? क्यों एक यहूदी पात्र Shylock को इतना क्रूर और इसाई पात्र Antonio को दयालु सहृदय दिखाया ? इस यहूदी पात्र को दयालु और Antonio ( इसाई ) को क्रूर दिखा सकते थे | या कम से कम दोनों ही पात्रों (Shylock और Antonio) को इसाई तो दिखा ही सकते थे ! या फिर वो एंटोनियो और Shylock पात्रों के धर्म को ही छुपा जाते !

आगे देखिये - Shylock की बेटी Jessica, Antonio के मित्र Lorenzo के साथ भागकर इसाई धर्म स्वीकार कर लेती है | 


जब 'The Merchant Of वेनिस' विद्यालयों मैं पढाया जाता है तो यहूदी Antonio के चरित्र बताते समय शिक्षक के चेहरे का भाव कैसा रहता होगा ? शिक्षार्थी के कोमल मन मैं कैसी भावनाएं आती होंगी यहूदी Antonio के बारे मैं ? फिर Jessica का इसाई धर्म स्वीकारना, क्या ये बच्चों को इसाई धर्म के प्रति प्रेम और यहूदी धर्म के प्रति घोर घृणा नहीं सीखा रहा है ?


एक तर्क ये भी दिया जा सकता है की Antonio और Shylock दोनों ही काल्पनिक पात्र हैं | पर क्रूर पात्र Shylock जिसे उन्होंने यहूदी दिखाया - भी तो उनके दिमाग की ही उपज थी ! आगे चलकर उन्होंने यदि किसी यहूदी को सहृदय दयालु बताया हो तो शेक्सपीयर को पूर्वाग्रही सांप्रदायिक कहना उचित नहीं होगा | पर दयालु सहृदय यहूदी पात्र शेक्सपीयर ने दिखाया है तो बताएं .... नहीं तो एक शंका तो मन मैं आती ही है की - शेक्सपीयर वास्तव मैं पूर्वाग्रही सांप्रदायिक था !  


हिटलर ने शेक्सपीयर के इसी क्रूर काल्पनिक पात्र Shylock का प्रचार कर यहूदियों पर अत्याचार किया | इतना ही नहीं २० वीं शताब्दी तक अंग्रेजी भाषा साहित्य मैं यहूदियों (Jews) को कमोबेश Shylock  की तरह ही दुराचारी, व्यभिचारी, लोभी चित्रित किया जाता था |

9 comments:

Anil Pusadkar said...

ये तो लिखित कथ्य और सत्य है।

अपूर्व said...

शेक्स्पियर के साहित्य के नये पक्ष की ओर ध्यान दिलाया आपने..धन्यवाद

alka mishra said...

प्रिय बन्धु
हमारे देश को धर्मनिरपेक्ष का सम्माननीय तमगा इसीलिए प्राप्त है कि हमारे यहाँ सभी धर्मों का आदर होता है,तो हम शेक्सपीयर की रचना इस दृष्टि से कत्तई नहीं पढाते हैं कि बच्चों के मन में सम्प्रदाय विशेष के प्रति नफरत की भावना पैदा करें ,आप ज़रा सा अपने देश और धर्म के साहूकारों को देख लें ,कर्जदार से रोटी ,बेटी ,बहू ,घर ,खेत ,जानवर और जान तक छीन लेते हैं ,भले वो एक ही सम्प्रदाय के हों या अलग अलग .साहूकार एक ही मानसिकता के होते हैं चाहे वो किसी धर्म के हों या किसी जाति या देश के. इसलिए बच्चे जिस दृष्टिकोण से शेक्सपीयर को पढ़ रहे हैं ,पढने दीजिये .मैं किसी भी दो जाति ,धर्म,परिवार और देश के बीच में नफरत फैलाने वाले काम और व्यक्ति को सर्वाधिक निकृष्ट मानती हूँ
आपने तुलसी वाला मेरा लेख पढा है तो यह जरूर गौर किया होगा कि मैंने दो धर्मों को एक पौधे के माध्यम से जोड़ने और भ्रांतियां मिटाने की कोशिश की है
पद्म पुराण की जिस कथा का उल्लेख मैंने किया है वह अगर गलत है तो सही जानकारी देकर आप मेरा ज्ञानवर्धन कीजिये ,मैं आपकी आभारी रहूंगी

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह तो शेक्सपियर को पूरा पढ़ने वाला ही बता सकता है। हमने तो अभी कालिदास को ही पूरा नहीं पढ़ा है।

Meenu Khare said...

वैसे भारत में अब साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता जैसे दो औज़ार बन गए हैं जिनका प्रयोग अब किसी की भी चारित्रिक हत्या में बेखौफ़ किया जा सकता है. आमतौर पर हिन्दुओं की शामत आई रहती है अब शेक्सपियर की बारी आने की बधाई.

Mithilesh dubey said...

बहुत खुब , आपकी लेखन विधी लाजवाब तो है ही, साथ में आकर्षक भी।

Himanshu Pandey said...

एक नये पक्ष की ओर इशारा किया है आपने । इस दृष्टि से विचार करूँगा । आखिर सब दृष्टि का ही तो मामला है ।

Mishra Pankaj said...

bhai mere samajh ke pare hai
namaste

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

नमस्कार अलका जी .. कई भारतीय लेखकों ने हमारे सेठ-साहूकारों की जम कर खबर ली है | शायद ही कोई ऐसा भारतीय लेखक मिलेगा जो सूदखोरों की निंदा नहीं करता हो | लेकिन हमारे लेखकों ने कहीं भी ऐसा नहीं दिखाया की सूदखोर मुस्लिम या इसाई था | लेकिन शेक्सपीयर जी ने जोर दे कर बताया है की वो क्रूर सूदखोर यहूदी (Jew) है |

आगे देखिये shylock से बदला लेने के लिए उसकी बेटी इसाई धर्म स्वीकार कर लेती है ! अब भला बदला लेने के लिए धर्म परिवर्तन .. ये क्या तुक है ? जैसे की मैंने पहले भी कहा है की बच्चों को ये कहानी पढाते समय तो ये सब भी बताना ही पडेगा ना की बदला लेने के लिए धर्म परिवर्तन ... किसी भी नजर से देखिये बदला लेने के लिए धर्म परिवर्तन तो .... |

शेक्सपीयर की साहित्य का जिसने भी समालोचन किया है ज्यादातर विद्वानों ने ये बात स्वीकारी है की शेक्सपीयर साम्प्रदायिक था | और मेरे आलेख मैं मैनर कहीं नहीं लिखा है की वो महान नहीं थे |