माँ : बेटा लड्डू खा लो ...
राजीव : माँ मैंने कितनी बात तुम्हें कहा है कि मुझे मीठा बिलकुल पसंद नहीं, फिर क्यों मुझे बार-बार लड्डू खाने को कहती हो ?
माँ : ये तो भगवान का प्रसाद है बेटा | पूरा लड्डू ना सही आधा या एक टुकडा ही खा लो |
राजीव : नहीं मीठा खा ही नहीं सकता | इसे किसी और को खिला देना या phir भिखारी को दे देना |
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कुछ दिनों पश्चात राजीव अपनी पत्नी और पुत्र रोकी के साथ एक बर्थ डे पार्टी मैं ...
यार राजीव today's cake is great, तुम नहीं खाओगे क्या? राजीव : जरुर, अभी खाता हूँ ..... this is really good. Can I have some more?.....
अब राजीव का बेटा मनीष अपने पिता से पूछ बैठता है | पापा आपने तो दादी जी को कहा की आपको मीठा बिलकुल पसंद नहीं | फिर ढेर सारा केक कैसे खा गए ?
राजीव : बेटा ... यदि मैं केक ना खाता तो उन्हें बुरा लग जाता इसलिए केक खा लिया ....
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राजीव : बेटा ... यदि मैं केक ना खाता तो उन्हें बुरा लग जाता इसलिए केक खा लिया ....
6 comments:
oh god! what is "parshaad"?
oh! i think this is stupid things of lower class society....
क्या कहने कलजुगी व्\बेटे के
bahut gehraai se bahut kuchh kah gaye aap
Bahut pate ki baat kahi hai apne Rakesh Bhai.
Rakesh bhai, this is really good. Can I have some more? :-)
Aisi post aur likhna ji.
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