Monday, August 3, 2009

बजरंगवली की जगह ....

क्या करूँ मज़बूरी समझो, सत्य बोला तो सांप्रदायिक कहलाउंगा
ना बाबा सांप्रदायिक नहीं कहलाना, मुझे तो सेकुलर बन के रहना है |

सत्य नहीं बोलूंगा, मौन धारण कर लूंगा, झूठ भी बोल सकता हूँ
पर सांप्रदायिक नहीं कहलाउंगा

अब बताओ सेकुलर बनने के आसान तरीके
क्या कहा स्तुति करनी होगी, लो अभी स्तुति गाल करता हूँ
जय हो ..., जय हो ... तुम्ही तो हो भारत के भाग्य विधाता, हम सब के पालन हार |

क्यों अब तो सेकुलर बन गए ना? क्या कहा अभी तो मैं सेकंड क्लास का सेकुलर बना हूँ ?
नहीं मुझे तो फस्ट क्लास सेकुलर बन के रहना है, कुछ कान मैं मन्त्र बताओ |
अच्छा ..मजार पे चादर चढानी होगी, भारतीय सभ्यता संस्कृति को गरियाना होगा ...
चलो ये भी कर लिया, अब तो मैं फस्ट क्लास सेकुलर बन गया ना ?

सेकुलर भाइयों से बधाई खूब मिली है, लगता है जीवन सफल हो गया
चलो आज ही सवा सेर लड्डू बजरंगवली को चढाता हूँ ...
किसी ने सुना तो नहीं ... , गलती हो गई भाई बजरंगवली की जगह दरगाह पे चादर चढा के आता हूँ |

15 comments:

स्वप्न मञ्जूषा said...

अगर फर्स्ट क्लास सेकुलर बनना है तो एंटी हिन्दू बनो...क्योंकि आजकल यही फैशन है और अगर advanced कहाना है तो हिन्दुओं के विरोध में और अल्पसंख्यकों के पक्ष में बात करो.....प्रगतिशील कहलाओगे...
यह अमोघ मन्त्र है आज का ....जाप करो सफलता कदम चूमेगी....तथास्तु !!!
जय सेकुरारिजम...

वाणी गीत said...

कड़वा सच ..!!

संजीव गौतम said...

ये बडी मुसीबत है कि आप यदि वामपंथी नहीं हैं तो साम्प्रदायिक हैं. इस मुल्क में आम आदमी के लिये कोई जगह नहें है. आपने बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है.

admin said...

Achchha vyangya hai.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

रवि धवन said...

मरने से पहले अगर आखिरी शब्द
हे राम की बजाय अल्लाह का उच्चारण
कर दिया तो आने वाली पीडिया तर जाएँगी
हो सकता है की आपको हिंदुस्तान का सबसे
बड़ा रखवाला भी कहा जाने लगे...आपने
सेकुलर पर सही प्रहार किया है.

Atmaram Sharma said...

मुद्दा गंभीर उठाया. थोड़ा धीरज से काम लेकर विषय की व्याख्या करते तो और अच्छा लगता.

जगदीश त्रिपाठी said...

इसके बाद तो बल्ले-बल्ले है। एक संस्था बना लीजिए । पंथ निरपेक्षता का राग अलापिए। करोड़ों का बजट हासिल कीजिए। ऐश कीजिए। लेकिन, धर्मपत्नी का ख्याल रखिएगा। क्योंकि पंथ निरपेक्ष कुमारियों को दुहाजू ही पसंद आते हैं। शबाना आजमी इसकी उदाहरण हैं।

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

अदा दी मन्त्र तो मिल गया , जगदीश और रवि भाई आपका सुझाव भी नोट कर लिया है | अब तो मैं सेकुलर ELITE CLUB मैं आ गया |

अमेरिका आ कर मैं शुद्ध शाकाहारी हो गया हूँ , लेकिन सेकुलर क्लब मैं आने की ख़ुशी मैं मांस मदिरा की पार्टी देता हूँ | शायद कल के अखबार मैं मेरी पार्टी का चर्चा हो |

सर्वत एम० said...

राकेश जी,
एक बेहद गम्भीर समस्या आपने बेहद हल्के-फुल्के ढंग से प्रस्तुत करने में सफलता हासिल कर ली है. समझ में नहीं आता इस देश में बुद्धजीवियों ने साम्प्रदायिक और सेकुलर होने की कितनी परिभाषाएं रच डाली हैं. हम तो ढंग से इंसान भी नहीं बन पाए, सेकुलर और साम्प्रदायिक हो पाना बेहद टेढी खीर लगता है.
ब्लॉग पर कमेन्ट देना का शुक्रिया लेकिन भाई वो भी तो आपने मुमुक्ष जी को भेंट कर दिया है.

shama said...

हमें इसी सांप्रदायिकता ने ले डुबाया ..! "धरम ' का वास्ता क़ुदरत के क़ानूनों से है ! सम्प्रदाय इंसानों की करतूत है ..!

http://lalilekh.blogspot.com
( Pyarkee raah dikha duniyaa ko)

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

http://shama-baagwaanee.blogspot.com
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Smart Indian said...

सत्यमेव जयते!

दिगम्बर नासवा said...

BILKUL KARAARA TAMAACHAA HAI AAJ KE TATHAKATHIT PRAGATISHEEL LOGON KE MUNH PAR JO APNE AAP KO LECULER KAHLAANE KI KHAATIR KISI BHI HAD TAK GIR SAKTE HAIN..........SAADHUVAAD HAI AAPKAA IS POST KE LIYE...... DIL KHUSH HO GAYA PADH KAR....

दर्पण साह said...

....मुझे तो सेकुलर बन के रहना है

psuedo secularism ke upaar aapka ye vyang bahut accha laga.

दर्पण साह said...

hiduo ho? hindoono ki taaarif karte ho...

...saale tum sampradiyak ho !!

kya kaha alpsankhakoon ka bhala chahte ho?

ye hui na kisi secular jaisi baat !!

:)

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

दर्पण जी आपसे सहमत हूँ |