रीमिक्स गाना लगा वो थिरकने लगती है
कहती है तुम भी थिरको ना ! तुम तो कभी मेरा साथ देते ही नहीं |
मैं कहता हूँ कोई ठुमरी, कजरी, होरी, चैता लगाओ मन आनंद विभोर हो जावेगा
कहती है क्यों अभी तक बासी-पुराणी ठुमरी, कजरी पे ही अटके हो ?
उनकी कान खडी हो जाती है जब मैं नमस्कार करता और रिप्लाय हाय मैं आता
कहती है देखो वो कितने शिष्टाचारी हैं, तुम्हें तो हाय बोलना भी नहीं आता |
मैं चुप रहता हूँ, वो कहती किस पुराने आदमी से पाला पड़ा है !
तुम तो निरा मुर्ख हो परिवर्तन को समझ नहीं पाए हो अब तक
क्या कृष्ण ने गीता मैं नहीं कहा - परिवर्तन प्रकृति का नियम है
फिर इसे परिवर्तन मान, क्यों नहीं अपने को कहलाते माडर्न ?
रीमिक्स, हाय, हेलो भी तो आज का परिवर्तन है, क्यों नहीं हमारी तरह मानते ये गीता की बात ?
समझाऊं कैसे ? शुद्ध नक़ल को कैसे मानु परिवर्तन ?
कैसे बताऊँ कि मौलिकता बिना परिवर्तन, परिवर्तन नहीं
आखिर नक़ल और परिवर्तन मैं कुछ तो फर्क करो |
समझाने की सारी कोशिशें नाकाम गई
आप भी कोशिश कर लो, शायद समझा सको तो बता देना |
8 comments:
यह परिवर्तन नहीं है। विनाश की ओर जा रहे कदम हैं।
अपना काम है समझाना ...अगर कोई न समझे तो वक़्त एक न एक दिन समझायेगा ही ...शायद तब बहुत देर हो चुकी हो ....!!
राकेश जी,
एकबार फिर एक ज्वलंत समस्या को उजागर किया है आपने, बधाई,
परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है, हम अपनी ही बात याद करें जब हम बेल-बाटम पहनना चाहते थे तो कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, बस अंतर सिर्फ इतना है की अब मेज़ के इधर हम बैठे हैं...
जहाँ तक रि-मिक्स का सवाल है मैं तो इस बात से खुश हूँ की कम से कम इस रूप में ही ये गाने युवा पीढी गा रही हैं नहीं तो इन गीतों को लुप्त ही हो जाना था, हां जरूर कोफ्त होती है की ये क्या बनाया हुआ है, लेकिन बच्चे बहुत मन से गाते हैं, बल्कि उन्हें बताना पड़ता है कि यह गाना हमारे ज़माने का है..
और जहाँ तक बात नहीं समझाने का प्रश्न है, समझाने का कोई और तिकड़म लगाइए, बात बन जायेगी...
अरे बड़ी गम्भीर बातें हो रही हैं !
राम राम
मौलिकता बिना परिवर्तन, परिवर्तन नहीं ...yeh to sahi kaha aapne...par samjhaye kon?gud post....
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा! मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है !
किसी को भी समझाना मुश्किल होता है............... अपने आप ही समझ आये तो कोई बात है......
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