दैनिक अखबारों के ऑनलाइन संस्करण पढ़ रहा था और इसी क्रम मैं मुझे टाईम्स ऑफ़ इंडिया (दिल्ली संस्करण ) मैं 9 दैनिक हिन्दुस्तान मैं 5 विज्ञापन इंदिरा गांधी जी को उनके जन्म दिवस पे समर्पित देखे (इस तरह के विज्ञापन लगभग सभी अखबारों मैं देखने को मिला ) | विज्ञापन का स्क्रीन शाट बिना किसी काट छांट के निचे दिया है अब आप ही बताईये की ये सरकारी पैसों का सदुपयोग है या दुरूपयोग? किसानों को उचित गन्ने मूल्य पाने के लिए धरना प्रदर्शन और ना जाने क्या क्या नहीं करना पडेगा ... फिर भी उन्हें उचित मूल्य मिल पायेगा या नहीं, पता नहीं पर इस तरह के विज्ञापनों के खर्चने के लिए सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं?
तज्जुब तब और बढ़ जाता है जब लाल बहादुर शाष्त्री, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी .... आदि पूर्व प्रधानमंत्रियों के जन्म दिवस पे इस तरह के 9-10 पन्नों का विज्ञापन गायब रहता है
दैनिक हिन्दुस्तान मैं विज्ञापन
टाईम्स ऑफ़ इंडिया मैं विज्ञापन
9 comments:
इसके लिए इनके पास खूब फंड है !
ab kya kaha jaye in logon ko.....
इतने विज्ञापन गांधी परिवार को याद दिलाने वाले छपते हैं कि शायद हममें से किसी के लिए इन्हें समेट पाना संभव नहीं हैं। कमाल तो ये है कि इस पर तो अब कोई गंभीर भी नहीं होता।
ISI KO SATTA KA NASHA KAHTE HAIN .... NEHRU FAMILY RAAJA SE KAM NAHI APNE BHAARAT MEIN ... JO CHAAHE KARENGE KOI ROK SAKTA HAI TO ROKE ..
बस देश का पैसा बाप का माल समझकर लुटाने में लगे हुए हैं...गरीब जनता जाए भाड में ....
बेहद शर्म नाक घटना है, देश में कहीं आकाल है तो कहीं भुखमरी पर भारत में इन्दिरा महान है। :)
उपर की टिप्पणी का इलाज सही ढ़ग से नही हुआ है :)
आपने सही मुद्दे को लेकर बहुत ही सुंदर प्रस्तुत किया है! अब तो गाँधी परिवार का ही बोल बाला है! हमारे देश में इतने गरीब लोग हैं और उनके बारे में कोई सोचता भी नहीं है! पता नहीं क्या हाल होगा हमारे देश का अगर ऐसा ही चलता रहा!
Samrath ko nahi dosh gosaain....jhooth thode na hai.....
Waise in baton ko uthate rahna chahiye....so dhyanakarshan ke liye aapka dhanyawaad..
चापलूसों की जमात सरकारी खर्च पर अपने आका को खुश करने का कोई न कोई बहाना ढूंढ ही लेती है.
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