प्रश्न : बच्चे मंदिर क्यूँ जाएँ/जाते हैं ?
वैसे ये प्रश्न सरल दिखता है पर, उत्तर मैं सारी बातों का समावेश करने मैं समय लग सकता है और कुछ ना कुछ छुट ही जाता है | संयोग से आज ही किसी ने मेल द्वारा ये प्रश्न और उत्तर भेजा है | पहले तो आप अपना उत्तर लिख लीजिये, फिर आगे पढ़के देखिये कि आपसे कुछ छुट तो नहीं गया था | मैं तो १ मिनट सोचता रहा कि एक बालक को इसका सरल उत्तर कैसे दूं ....
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क्योंकि मंदिर ही एक ऐसा स्थान है जहाँ
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पूजा
भावना
श्रद्घा
आरती
अर्चना
अराधना
शांति
ज्योति
प्रिती
तृप्ति और अंततः मुक्ति/मोक्ष
कि प्राप्ती होती है |
13 comments:
हा हा हा हा… बढ़िया…। अब लगे हाथों ये भी बता दीजिये कि ये साला "मोक्ष" कौन है? टांग तोड़ना पड़ेगी उसकी, कि वह क्यों मिलता है उधर… :)
मंदिर देखने में सुन्दर और साफ होते है..
वहां प्रसाद मिलता है... जो अक्सर मीठा होता है..
कई मंदिरों में खेलने के लिये बहुत सी जगह होती है..
और कुछ मंदिरों के स्तम्भ लुका छिपी खेलने के लिये आदर्श होते है...
मंदिर जाने से दादा दादी खुश रहते है.. अच्छा बच्चा समझ के खिलौने भी दिला देते है..
मंदिर में जाने से लेटेस्ट फैशन का पता भी चलता है..
और भी कई कारण है..
चिपलूनकर जी ने सही प्रश्न पूछा है। हम भी जानना चाहते हैं कि आखिर ये मोक्ष कौन है?
कभी-कभी बीच में इन्स्पेक्टर शकुन आ गया डंडा हिलाते तो सब गायब ! :)
सरल शब्दों में समझा दिया आपने ..........
चिपलूनकर जी ने सही प्रश्न पूछा है। हम भी जानना चाहते हैं कि आखिर ये मोक्ष कौन है?
ha ha ha
EKDAM SAHI AUR SATEEK UTTAR DIYA BACHCHE NE....
sach baki sab to mil hi jati hain magar ye moksh beech mein kyun aa gaya...........bahut hi masoom prashna aur uska masoom sa uttar.........waah!
@सुरेश जी, अवधिया जी और महफूज भाई ... मोक्ष को "मोक्षा" पढ़िए ... सारे भ्रम दूर हो जायेंगे | और अब शायद टांग तोड़ने की नौबत ना आये .. :)
@ owner
आपको कभी मोक्ष मिले तो हमे बतना कैसा होता है
@anonymus जी मोक्ष यदि मिल गई तो हम कहीं और होंगे और ब्लॉग पे आके आपको बता नहीं सकेंगे. और जहाँ तक इसे जानने की बात है तो ये कोई फिल्म या वस्तु तो है नहीं जिसे बता दिया जाए ये लाल, पिली या हल्का, भारी होती है. जिसे मोक्ष को जानना है उसे खुद ही प्रयास करना है, यदि आप वास्तव मैं मोक्ष को जानना चाहते हैं तो अध्ययन कीजिये....
राकेश जी, अब की पोस्ट तो पूरी मस्ती के मूड में लिखी गई है :)
मेरे खयाल में बच्चे मन्दिर में जाते हैं, क्यो कि बढे उन्हे उधर ले जाते है ।
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