खैर, घायल बच्चे को १०-१५ मिनट के अन्दर, पैदल ही, हस्पताल तक ले आया | हस्पताल पहुँचते-पहुँचते ना जाने कितनी बार मन ही मन भगवान् को पुकारता रहा, इसे बचा लो भगवन, मैं ये पूजा करूंगा ... लड्डू चढाउंगा... | रास्ते भर कुछ लोग ये आशंका व्यक्त कर रहे थे कि डॉक्टर इस गरीब का इलाज शायद ही करेगा | लोगों की आशंका निर्मूल नहीं थी, डॉक्टर ने पहले तो आना-कानी की पर बहुत समझाने-बुझाने पर किसी तरह इलाग को राजी हुआ | एक क्षण लगा अब चिंता की कोई बात नहीं | बाकी समय इश्वर का स्मरण हो ना हो ऐसे क्षणों में इश्वर ही एक सहारा होता है .. आँखें बंद कर इश्वर को याद करने लगा .... कम्पाउन्दर आकर कह गया उम्मीद नहीं के बराबर है इसे बड़े हस्पताल ले जाओ | लोगों की सलाह थी की इस एकलौते संतान के लंगडे पिता को साथ लेकर ही आगे चला जाय, पर लोगों की सलाह के विपरीत उसके लंगड़े पिता को लिए बिना ही मैं बड़ा हस्पताल आ गया | डॉक्टर अपना काम करने लगे... | आशा की किरण फिर से जगने लगी ... एक पल को लगा सब ठीक हो गया | पर ये आशा क्षणिक रही .... कुछ ही मिनटों मैं डॉक्टर जवाब दे गया - he is no more ....!
उस रात सोने की सारी कोशिशें व्यर्थ रही | रह-रह कर वही घटना दृश्य पटल पे सजीव हो उठती थी | ठीक तीसरे दिन उसका लंगडा पिता-माता मुझसे मिलने आए | काफी देर तक हम-लोग मौन ही रहे | आखिर कर उसकी पत्नी (दिवंगत की माँ) ने धीरे से कहा बाबु से जो बोलने आये हो बोलोगो नहीं, घबराओ नहीं बाबु अपने हैं.. बोल दो | वो फिर भी मौन रहा, मेरे बार-बार आग्रह पर बोला बाबु आपने बहुत कोशिश की..फिर भी हमारा एकलौता बेटा चला गया... शायद इश्वर को यही मंजूर था | लेकिन मेरे बेटे की ह्त्या की गई है, वो लोग हत्यारे हैं | मैं उसे समझाने की कोशिश करता रहा की इतने छोटे बच्चे को कौन
मारेगा? उद्घाटन शिला अपने आप उसके सर पे गिरी, मुझे उस लड़के ने यही बताया था | मैंने जोर देकर कहा - मुझे किसी दृष्टि से इसमें हत्या की संभावना नहीं लगती? मेरी बात पे गौर किये बिना ही वो बोलता गया..."बाबु आप हाँ बोलो तो मैं उसके ऊपर केस-मुकदमा करूं | वो हत्यारे हैं, उन्हीं लोगों के करान ही मुझे अपना बेटा खोना पडा है | वो नाला, उद्घाटन शिला बस ५-६ महीने पहले ही बना था, क्या शिला इतना पुराना हो गया की अपने आप गिर जाए?" मैं समझ गया उसका इशारा एक प्रतिष्ठित आदिवासी ढेकेदार की ओर है | वो बार-बार आप जो बोलो मैं वही करूंगा की गुहार लगाता गया | वो मुझसे आँख मिला कर बात करने की चेष्टा किये जा रहा था पर मैं उससे आंख मिला कर बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया | "तुम्हें जो ठीक लगे वही करो , मैं तो साधारण परिवार का हूँ और अभी क्षात्र हूँ फिर भी पैसे से जो बन पडेगा सहायता करूंगा" कह कर विदा किया उसे |
अगले ही दिन आगे की पढाई के लिए भागलपुर जा रहा था पर मन बोझिल था माँ, पिताजी ने भी काफी समझाया पर जाने को मन नहीं मान रहा था | जाते समय अपने छोटे से कसबे के मित्र, सगे सम्बन्धी, अपना परिवार, खुबसूरत पहाड़ियों के छूटने का दर्द तो था पर रह रह कर उस मासूम का चेहरा और वो भयानक दृश्य ही मन मस्तिस्क पे हावी रहा |
भागलपुर आ कर धीरे धीरे उस सदमे से उबर सा गया | इस दौरान मुझे उनलोगों की कोई खबर मिली नहीं | अचानक एक दिन खबर मिली की लड़के की माँ दोषियों को साजा दिलाने मुझसे मिलना चाहती थी | ३ महीने तक तो वो इस आस मैं बैठी रही की मैं आउंगा और कुछ करूंगा .... पर अंततः उसकी हिम्मत जवाब दे गई | "बाबु आयेंगे ... दोषियों को सजा दिलाने में हमारी मदद करेंगे" यही अपूर्ण इच्छा लिए उसने अंतिम सांस ली !
14 comments:
मन ऐसे भर आया है कि इसमें बाकी किसी शब्द के लिए जगह न बची है....क्या कहूँ...
सरलता से न भूल पाउंगी इसे...
इ-मेल द्वारा प्राप्त टिप्पणी :
Rajesh Kapoor
राकेश जी बड़ा संवेदनशील, मन को छूनेवाला लेखन है आपका. कृपया अपनी सामग्री भेजते रहें. धन्यवाद.
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bahoot accha aur vicharniya likha hai aapne rakesh g.
meri badhai aur shubhkaamnayen.
आपने अपने हिस्से की पूरी कोशिश की उस बालक को बचाने की.... उसके लिए आपको धन्यवाद तो नहीं दूंगा क्योंकि वो आपका सामाजिक प्राणी होने के नाते कर्तव्य था। लेकिन आपकी तारीफ अवश्य करूंगा।
मन को छू गया आपका लेख .... आपको आादी का जश्न मुबारक हो ...
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बहुत बार हम लाचार होते हैं। मन में मदद की इच्छा होते हुए भी हमेशा संभव नहीं हो पता।
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कांग्रेसी नेता इस बात का जी तोड़ प्रयत्न कर रहे हैं कि किसी प्रकार से सत्ताधारी परिवार (दल नही परिवार) की छवि गरीबों के हितैषी के रूप मे सामने आए, इसके लिए वो छल छद्म प्रपंच इत्यादि का सहारा लेने से भी नही चूकते। इसकी जोरदार मिसाल आपको नीचे के चित्र मे मिल जाएगी
http://bharathindu.blogspot.com/2011/03/blog-post.html?showComment=1299158600183#c7631304491230129372
कथा/आलेख जो भी है मार्मिक है और देश की दुर्दशा की एक झांकी है। दुखद!
आप ने दुबारा उस परिवार की मदद की या नहीं
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http://www.homelessnation.org/en/node/15316 http://my.cheng-tsui.com/node/683/talk?page=3
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Let me start off by saying what actually happens with videos. Whenever a page comes up that has a potential video on it, ones in which you can click a play button, my computer freezes up immediately. I ran a virus scan and there are no viruses. Literally, a second after the page comes up it freezes and the "program is not responding". It was working fine early today. Now that I think back though, a message came up that was asking for me to grant permission or something and I may have clicked never but I can't remember what is was asking for etc. Are there any common downloads I could do or any security options that I can get around?
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बहुत ही बढ़िया आलेख
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
आप ने अपने स्तर पर कोशिस की यह आपकी अच्छाई कायम रखें जो न कर पाये ुसके लिये अपने को दोष न दें ।
घटना या कहानी से दिल भर आया ।
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