हिन्दुओं के लिए दिन-ब-दिन जब परिस्थितियाँ विपरीत होती जा रही हों तो क्या इस अवस्था मैं भी हमारा सहनशील (वास्तविक तौर पे कायर) बने रहना उचित है? मैं समझता हूँ की आज की अवस्था में यदि हिन्दू आक्रामक हो कर दुस्प्रचारियों से लड़े तभी कुछ सुधार आएगा | आज हिन्दुओं का आक्रमणशील होना क्यों जरुरी है, जरा निम्न बिन्दुओं पे गौर करें :
* पिद्दी सा देश पाकिस्तान हमारी नाक मैं दम किये रहता है, क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक पाकिस्तान |
* भारत - ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच, किसके जितने की संभावना ज्यादा है ? शायद ऑस्ट्रेलिया, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक खेल |
* छोटी सेना लेकर मुहम्मद गौरी ने शक्तिशाली पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया | ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक मुहम्मद गौरी |
* हिन्दुस्तान लीवर का साबुन या अन्य उत्पाद बाजार मैं अब तक टिका है पर टाटा का साबुन और अन्य प्रसाधन उत्पाद गायब क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण हिन्दुस्तान लीवर का - आक्रामकप्रचार और मार्केटिंग |
* भारत - चीन युद्ध, चीन से हमारी सर्मनाक हार, क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - चीन का आक्रामक होना |
* विश्व के उच्चतम तकनीक से लैस पाकिस्तान और अमेरिकी सेना तालिबान को वर्षों की लम्बी लड़ाई के बाद भी ख़तम नहीं कर पाया है, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - तालेबान का आक्रामक होना है |
* मैक्रोसोफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम से कहीं अच्छा एपल का ऑपरेटिंग सिस्टम है, फिर भी बाजार मैं मैक्रोसोफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टमकी ही धूम है, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - मैक्रोसोफ्ट का आक्रामक प्रचार और मार्केटिंग होना है |
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क्रिस्चन मिसनरी दिनों-दिन बेहद सुनियोजित रणनीती से हिन्दुओं को हूक्स & क्रूक्स के सहारे धर्म परिवर्तन करवा रही है | जाकिर नायक जैसे इस्लामी प्रचारक भी आये दिन हिन्दू धर्मग्रंथों का खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ा रहे हैं | ब्लॉग जगत को ही लीजिये सलीम खान, मुहम्मद उमर खैरान्वी, अंजुमन, कासिफ आरिफ जैसे लुच्छे रोज हमारी धर्म ग्रंथों का मजाक उड़ा रहा है | कोई हिन्दू यदि ब्लॉग के जरिये ही सही उनके साजिशों का पर्दाफास करता है तो कई सम्माननीय हिन्दू ब्लॉगर शांति-शांति या उनको ignore कीजिये या आलेख को कीचड़/मैले मैं पत्थर कहकर साजिशों का पर्दाफास करने वालों को हतोत्साहित करते हैं | सम्माननीय ब्लॉगर की सुने तो मतलब यही निकलता है की यदि कोई गन्दगी फैला रहा है तो उसे फैलाने दो आप गन्दगी फैलाने वालों को कुछ मत कहो | महात्मा गाँधी ने भी कहा था की "पाकिस्तान उनकी लाश पे ही बनेगा" .. पाकिस्तान उनके जीते-जी बन गया गाँधी जी देखते रह गए | संतों की भाषा संत और सज्जन ही समझते हैं, दानवों से दानवों की भाषा मैं ही बात की जानी चाहिए | अलबेला खत्री जी ने कुछ दिनों पहले बहुत सही अपील की थी वही अपील दुहराता हूँ "पत्थर उठाओ और गन्दगी फैलानेवालों के ऊपर चलाओ" |