tag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post8437790241606237553..comments2023-07-14T03:07:31.572-07:00Comments on सृजन: अश्लील भित्तिचित्र और मूर्तियाँ मंदिर मैं क्यूँ? Why sexual statue or carvings in Hindu Temple?Rakesh Singh - राकेश सिंहhttp://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-19235753917370971762009-10-03T02:25:59.331-07:002009-10-03T02:25:59.331-07:00बहुत बढ़िया लेख है ! आपकी इस पोस्ट को पढकर बहुत ही...बहुत बढ़िया लेख है ! आपकी इस पोस्ट को पढकर बहुत ही अच्छी और रोचक जानकारी प्राप्त हुईnaresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-44982852149798555362009-09-24T06:54:04.327-07:002009-09-24T06:54:04.327-07:00सर्वत जी टिप्पणी के लिए आभारी हूँ की आपने आगे आकर ...सर्वत जी टिप्पणी के लिए आभारी हूँ की आपने आगे आकर अपनी बात राखी | मोक्षप्राप्ति के प्रयास करने के पूर्व वंशवृद्धि का कर्तव्य का याद तो दिलाती ही हैं | और मुझे लगता है की ये ये किसी एक राजा विशेष का सोच नहीं था | क्योंकि इस प्रकार की मूर्तियाँ तो लगभग सभी प्राचीन मंदिरों मैं पायी जाती है | यदि एक राजा का कार्य होता तो सिर्फ उनके ही क्षेत्र के मंदिरों मैं ऐसा मिलता |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-11411642015494045912009-09-24T00:52:15.151-07:002009-09-24T00:52:15.151-07:00प्राचीन भारतीय मन्दिरों में इन मूर्तियों की स्थापन...प्राचीन भारतीय मन्दिरों में इन मूर्तियों की स्थापना के सन्दर्भ में मुझे जो थोड़ा बहुत ज्ञान पुस्तकों से मिला है, वह मैं पेश कर रहा हूँ:<br />एक समय बौद्ध धर्म का अपने देश में इतना प्रसार हो गया था की नाम मात्र ही सनातन धर्मी बचे थे. फिर धीरे धीरे बौद्ध धर्म का प्रभाव कम हुआ और लोग अपने मूल की ओर वापस लौटे लेकिन इतने समय में विचारधारा परिवर्तित हो चुकी थी. सन्यास तथा भिक्षा यही जीवन था. ऐसे में (मुझे राजा का नाम और काल याद नहीं हैं क्योंकि यह पढ़े भी २५ वर्ष से अधिक हो gye) राजा ने अपने सलाहकारों, पुरोहितों से मशविरा किया और अंत में यही निर्णय लिया गया कि सांसारिक भोग प्रचारित किया जाए ताकि लोग सांसारिक आवश्यकताओं की ओर ध्यान आकृष्ट करें. मन्दिरों में सम्भोगरत मूर्तियों की कथा मुझे ऐसे ही प्राप्त हुई थी.<br />मैं यह नहीं कहता मेरा पढा प्रामाणिक है या वो पुस्तक दस्तवेज़ हो सकती है. मुझे जो इल्म था, मैंने बता दिया. मैं अब भी विद्यार्थी हूँ और चाहूँगा कि इस विषय पर जिन लोगों को भी जानकारियां हों, कृपया देकर मेरा ज्ञानवर्धन करें.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-79951212423582093382009-09-23T20:15:35.111-07:002009-09-23T20:15:35.111-07:00वाह बहुत अच्छे तरीके से आपने अश्लील मूर्तियों को स...वाह बहुत अच्छे तरीके से आपने अश्लील मूर्तियों को सलिल बताया है ! और असल महत्व बताया है !!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-10009053386125786592009-09-17T18:40:58.197-07:002009-09-17T18:40:58.197-07:00अच्छी बात राकेश जी. सनतन और अन्य धर्मों में एकमात्...अच्छी बात राकेश जी. सनतन और अन्य धर्मों में एकमात्र अंतर यही है कि यह मूलतः और अनततः प्रवृत्तिमार्गी है. इसीलिए यहां किसी भी मूलवृत्ति का निषेध नहीं है. बीच में कैसे इसमें कुछ नकारात्मक तत्व आ गए और किन कारणों से व किन आधारों पर वे ऊटपटांग नियम बनाने लग गए, यह बात समझ में नहीं आती. मिथुनमूर्तियां भी इसी बात की द्योतक हैं. दूसरी बात, काम को हासिल किए बग़ैर उस पर विजय पाने की बात भी मुझे निरर्थक लगती है. क्योंकि हमारे यहां काम को जीवन के चार प्रमुख पुरुषार्थों में से एक माना गया है. उस पर विजय प्राप्ति से आशय निश्चित रूप से उसकी तृप्ति ही रही होगी, उससे लड़ना नहीं हो सकता.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-91780262900465452312009-09-17T17:39:58.943-07:002009-09-17T17:39:58.943-07:00बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! आपके पोस्ट के दौरान बहु...बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! आपके पोस्ट के दौरान बहुत ही अच्छी और रोचक जानकारी प्राप्त हुई !Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-63902804431050996802009-09-17T12:09:14.982-07:002009-09-17T12:09:14.982-07:00रोचक,बहुत मेहनत और अध्ययन का प्रमाण है ये पोस्ट्।रोचक,बहुत मेहनत और अध्ययन का प्रमाण है ये पोस्ट्।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-67176738227737151232009-09-17T10:23:06.643-07:002009-09-17T10:23:06.643-07:00बहुत समय से इनके बारे में जानना चाहा ,पर सही जानका...बहुत समय से इनके बारे में जानना चाहा ,पर सही जानकारी आपसे मिली।धन्यवादbijnior districthttps://www.blogger.com/profile/02245457778160306799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-37023219079952321582009-09-17T09:16:12.693-07:002009-09-17T09:16:12.693-07:00हिन्दु संस्कृ्ति में प्रारंभ से ही "काम"...हिन्दु संस्कृ्ति में प्रारंभ से ही "काम" को लेकर जो एक उन्मुक्तता रही है,उसे कभी भी किसी प्रकार की शर्म या झेंप नहीं,अपितु सम्मान की दृ्ष्टि से देखा जाता रहा है। यदि शास्त्रों का अध्ययन किया जाए तो पाएंगे कि देवराज इंद्र से लेकर भगवान विष्णु तक की कामक्रीड़ाओं का चित्रण वर्णन ग्रंथों में भरा पडा है,जिन्हे कि हम लोग नित्य पूजते हैं। श्रीसूक्त में देवी लक्ष्मी की कमनीय कटि और विपुल वक्षों का विशद वर्णन मिलता है। इसका कारण सिर्फ इतना है कि देवी-देवताओं का हमारी संस्कृति ने मानवीकरण किया,न सिर्फ शरीर से अपितु विचारों से भी और फिर सखाभाव और प्रेमभाव से उनकी भक्ति की। अब एक भक्त की दृ्ष्टि ने जिस ईश्वर को इतना सुंदर-मोहक-आकर्षक बनाया है तो फिर इन भित्तिचित्रों में "काम" का चित्रण तो एकदम स्वाभाविक बात है।Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-23520365004234884292009-09-17T08:17:46.101-07:002009-09-17T08:17:46.101-07:00मैंने भी ओशो की किसी किताब में पढ़ा था की , मंदिरों...मैंने भी ओशो की किसी किताब में पढ़ा था की , मंदिरों के बहार इन मूर्तियों का महत्त्व ये है की इश्वर की प्राप्ति कम विजय के बाद ही हो सकती है . इन सरे मंदिरों के भीतर आपको इश्वर की मूर्ती के अलावा अन्य मूर्तियों का न मिलना यही सिद्ध करता है . शुक्रिया जानकारी के लिएमुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-32751590722991488432009-09-17T06:23:16.771-07:002009-09-17T06:23:16.771-07:00रोचक जानकारी !रोचक जानकारी !Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-33605284883272686912009-09-17T04:19:31.577-07:002009-09-17T04:19:31.577-07:00ROCHAK BAHOOT HI GAHRE ADHYAN KE SAATH LIKHI GAYEE...ROCHAK BAHOOT HI GAHRE ADHYAN KE SAATH LIKHI GAYEE POST .......दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-30912426278609215942009-09-16T23:17:08.774-07:002009-09-16T23:17:08.774-07:00bahut bahut aabhar rakesh bhaai....
upyogi sargar...bahut bahut aabhar rakesh bhaai....<br /><br />upyogi sargarbhit aalekh ke liye bahut bahut aabhar...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-49313249879692681982009-09-16T22:28:33.636-07:002009-09-16T22:28:33.636-07:00रोचक जानकारी दिया है आपने !रोचक जानकारी दिया है आपने !Mishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.com