tag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post7496219587982156283..comments2023-07-14T03:07:31.572-07:00Comments on सृजन: क्या हुआ बेटा? ...पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ'Rakesh Singh - राकेश सिंहhttp://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-83481841001405978702009-11-04T23:38:39.115-08:002009-11-04T23:38:39.115-08:00अपने अनुभवों को हमारे साथ बांटते चलें।
संजय कुमा...अपने अनुभवों को हमारे साथ बांटते चलें। <br /><br />संजय कुमार <br />हरियाणा <br />http://sanjaybhaskar.blogspot.comसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-54617893286413887332009-10-31T03:37:41.129-07:002009-10-31T03:37:41.129-07:00अभी जो मन में घुमड़ रहा है,उसे व्यक्त कर पाने के ल...अभी जो मन में घुमड़ रहा है,उसे व्यक्त कर पाने के लिए कोई शब्द नहीं मिल रहा....<br /><br />क्या कहूँ भाई ,तुम्हारे सुसंस्कार मुझे अभिभूत कर जाया करते हैं...और मन से स्वतः ही तुम्हारे लिए आर्शीवाद और प्रभु के लिए धन्यवाद निकल जाता है...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-1168919736053500542009-10-29T23:13:13.181-07:002009-10-29T23:13:13.181-07:00hamare bachche hamare siwa aur jayenge kahan ya hu...hamare bachche hamare siwa aur jayenge kahan ya hum bhi tounke bina adhure hain...........shayad yahi ahsaas karate hain kai baar hamare swapn.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-64804843373166135832009-10-29T23:07:35.066-07:002009-10-29T23:07:35.066-07:00आपकी लेखन शैली प्रवाहमान है, पढकर अच्छा लगा। ऐसे ह...आपकी लेखन शैली प्रवाहमान है, पढकर अच्छा लगा। ऐसे ही लिखते रहें और अपने अनुभवों को हमारे साथ बांटते चलें। हाँ, टिप्पणी करने तो हम हाजिर हो ही जाएंगे।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-3297081895040947892009-10-29T23:04:18.090-07:002009-10-29T23:04:18.090-07:00डायरी लिखना बहुत कठीन काम है।मेरे खयाल से।डायरी लिखना बहुत कठीन काम है।मेरे खयाल से।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-52977494771817276802009-10-29T19:49:11.954-07:002009-10-29T19:49:11.954-07:00@समीर जी पूरा मन्त्र इस प्रकार है :
कराग्रे वसत...@समीर जी पूरा मन्त्र इस प्रकार है : <br /><br />कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमूले सरस्वती।<br />करमध्ये तु गोविन्द: प्रभाते कर दर्शनम॥<br /><br />अर्थ: हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का निवास है, मध्यभाग में विद्यादात्री सरस्वती का निवास है और मूलभाग में भगवान गोविन्द का निवास है। <br /><br />हाथ को कर्म का प्रतिक माना गया है | कर्मों को संपन्न कराने मैं सरस्वती और लक्ष्मी का महत्वपूर्ण योगदान माना गया है | विष्णु जी तो सृष्टि के पालन कर्ता हैं | अतः प्रातः उठते ही प्रभु को याद करते हुए इन मंत्रों को बोलते हैं | <br /><br />क्षमा चाहूँगा यदि मैंने ठीक से इसका अर्थ नहीं बता पाया | आप कहंगे तो मैं इसपे विस्तार से कुछ भेजने का प्रयास करूंगा |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-20763447784871455722009-10-29T19:08:48.765-07:002009-10-29T19:08:48.765-07:00कभी कभी ऐसे मर्मस्पर्शी वाकये ये बच्चे लोग कर देते...कभी कभी ऐसे मर्मस्पर्शी वाकये ये बच्चे लोग कर देते हैं कि आँखें भर आती हैं और दिल रोने लगता है। <br /><br />पता नहीं ये गीता का ज्ञान गोरी चमड़ी वालों को जल्दी समझ में आ जाता है हमें नहीं और फ़िर हम लोग हमारी गीताजी का ज्ञान उनसे लेते हैं। गीताजी का वास्तविक और व्यवहारिक अर्थ जानने की इच्छा रखते हैं तो फ़िर आप इस्कॉन जा सकते हैं।<br /><br />डायरी अच्छी है, निरन्तरता रखें तो हमें भी अपने अन्दर झांकने का मौका मिलेगा।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-47894983852311829542009-10-29T17:59:47.989-07:002009-10-29T17:59:47.989-07:00"लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग..."लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमुले ..." मंत्र पढा,"<br /><br /><br />इस मंत्र की महत्ता बताओ भाई, हम भी पढ़ा करेंगे.<br /><br />बाकी तो सटीक है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-32538482394105520472009-10-29T17:58:25.882-07:002009-10-29T17:58:25.882-07:00राकेश जी आपने बहुत ही सुंदर रूप से सुबह से शाम तक ...राकेश जी आपने बहुत ही सुंदर रूप से सुबह से शाम तक के कार्य को बखूबी शब्दों में पिरोया है! डैरी लिखने का अभ्यास बहुत ही अच्छा है और इसे निमयित रूप से किया जाए तो कुछ महीने के बाद देखने से आपको ख़ुद आश्चर्य लगेगा! बहुत बढ़िया लगा आपका ये पोस्ट और प्रशंग्सनीय है !Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-87157242739981941582009-10-29T13:24:21.365-07:002009-10-29T13:24:21.365-07:00." मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्रात...." मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्रातः सबसे पहले बच्चे का ही चेहरा देखता हूँ) |<br /><br />आपकी ये दोनों आदतें तो हूबहू बिल्कुल हमारे जैसी हैं.....हमारा भी कुछ ऎसा ही नियम है । लेकिन डायरी लिखने जैसा काम हमारे बस का नहीं......न तो इतना समय ही है ओर न ही ऎसी कभी कोई रूचि जागृ्त ही हो पाई ।<br />बहरहाल आपकी रूचि इसमें है तो बढिया है......वैसे अच्छी आदत है ।Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-76902058629801176562009-10-29T12:11:54.516-07:002009-10-29T12:11:54.516-07:00Bahut hi sundar tareeke se aapne ek safal din ko v...Bahut hi sundar tareeke se aapne ek safal din ko varnit kiya Rakesh ji, sun kar khushi hui ki aap bhi aaj tak Saraswati Shishu Mandir ke sanskar nahin bhoole hain aur pratah smaran mantra bolne ke baad hi dharti maa pa kadam rakhte hain...<br />main to bachpan me hamesha yahi sochta rahta tha ki jo log bade hote hain wo hi diary likhte hain ya jo diary likhte hain wo hi bade hote hain? :)<br />aur aaj tak nahin samajh paya isliye diary hi nahin likhta.<br /> agle din ke liye shubhkamnayen..<br />agar aap December me India jate hain to milen jaroor, main bhi wahin rahoonga.<br />aapka-<br />Dipak 'mashal'दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-41478940883917556402009-10-29T08:21:19.899-07:002009-10-29T08:21:19.899-07:00समय बर्बाद नहीं हुआ है भाई साहब आपने सुन्दर बात लि...समय बर्बाद नहीं हुआ है भाई साहब आपने सुन्दर बात लिखी हैMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-73985281275055857702009-10-28T23:40:55.390-07:002009-10-28T23:40:55.390-07:00राकेश जी ... जो दिन बीत जाये वो अच्छा ही होता है ....राकेश जी ... जो दिन बीत जाये वो अच्छा ही होता है ... कभी कभी अपने अतीत में झांकना अच्छा लगता है ..... अहुक्रिया डायरी याद karane का ......अच्छा लगादिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-37399507790182704792009-10-28T23:35:39.708-07:002009-10-28T23:35:39.708-07:00"लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग...<b>"लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमुले ..." मंत्र पढा,"</b><br /><br />साधुवाद! आज तो हम भी भूल चुके हैं इन बातों को। कभी किया करते थे। याद दिलाने के लिए धन्यवाद, कल से फिर शुरू करेंगे।<br /><br /><b>"सपने का ऐसा क्या प्रभाव जो हमारी संवेदनशीलता, भावनाओं को जगा देता है?"</b><br /><br />प्रत्येक मनुष्य में अतीन्द्रिय बोध छुपा होता है जो कि कभी-कभी उभर कर आ जाता है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-47726661538212878132009-10-28T23:19:59.362-07:002009-10-28T23:19:59.362-07:00nice .......
"लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को ...nice .......<br /><br />"लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमुले ..." मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्रातः सबसे पहले बच्चे का ही चेहरा देखता हूँ) |.................... पूछा क्या हुआ बेटा? बालक का सरल सुलभ जवाब - पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ मैं' , मैं आपको नहीं खोना चाहता और मुझसे लिपट गया .... | "Common Hinduhttps://www.blogger.com/profile/14038008417527527667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4406012885557107227.post-70230518651763690442009-10-28T22:14:16.461-07:002009-10-28T22:14:16.461-07:00..." मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्र......" मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्रातः सबसे पहले बच्चे का ही चेहरा देखता हूँ) | यहाँ तक तो सब कुछ सामान्य था पर एक चौकानेवाली बात हुई - आज मेरे बड़े लड़के 'अक्षत' ने पैर छू कर प्रणाम किया | मैंने समझा शायद मेरी धर्म पत्नी ने इसे ऐसा करने को कहा होगा, पर मैं गलत था | पूछा क्या हुआ बेटा? बालक का सरल सुलभ जवाब - पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ मैं' , मैं आपको नहीं खोना चाहता और मुझसे लिपट गया .... | अक्षत के आज के व्यवहार मेरी समझ से परे था, शायद सुबह सुबह मुझको किसी स्वप्न मैं देखा होगा .. और तो मुझे कोई कारण नहीं समझ आती | ... अक्षत के आज के व्यवहार पे थोडा गहराई से सोचना आरम्भ किया तो पाया कि, मैं भी कई बार ऐसी अवस्था से गुजर चुका हूँ ... <br /><br />मर्मस्पर्सी वाक़या, राकेश जी !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com