Wednesday, October 28, 2009

क्या हुआ बेटा? ...पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ'

डायरी, एक दिन के लिए ही सही, लिखना आसान नहीं| खासकर तब, जब की डायरी लिखने वाले का पहला प्रयास हो | अपने एक दिन के गलत-सही सभी कार्यों को लेखनी मैं कि कोशिश कर रहा हूँ, गलती के लिए पहले ही क्षमा मांग लेता हूँ |


दिनांक : २४-अक्तूबर-२००९
प्रातः अलार्म के पांच बार बजाने के बाद, बिस्तर से उतरने का मन बनाया | लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमुले ..." मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्रातः सबसे पहले बच्चे का ही चेहरा देखता हूँ) | यहाँ तक तो सब कुछ सामान्य था पर एक चौकानेवाली बात हुई - आज मेरे बड़े लड़के 'अक्षत' ने पैर छू कर प्रणाम किया | मैंने समझा शायद मेरी धर्म पत्नी ने इसे ऐसा करने को कहा होगा, पर मैं गलत था | पूछा क्या हुआ बेटा? बालक का सरल सुलभ जवाब - पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ मैं' , मैं आपको नहीं खोना चाहता और मुझसे लिपट गया .... | अक्षत के आज के व्यवहार मेरी समझ से परे था, शायद सुबह सुबह मुझको किसी स्वप्न मैं देखा होगा .. और तो मुझे कोई कारण नहीं समझ आती | ... अक्षत के आज के व्यवहार पे थोडा गहराई से सोचना आरम्भ किया तो पाया कि, मैं भी कई बार ऐसी अवस्था से गुजर चुका हूँ ... बहुत दिनों बाद अचानक किसी दिन सपने मैं परिवार-सम्बन्धियों को देखा और सुबह-सुबह जल्दी ऑफिस जाने की आपा-धापी के बीच भी उन्हें फ़ोन लगा कर कुशल--क्षेम पूछने लगता हूँ | अपने आप को कोसता भी हूँ, यही फ़ोन मैं २-४ दिनों पहले भी कर सकता था पर क्यूँ नहीं किया और सपने का ऐसा क्या प्रभाव जो हमारी संवेदनशीलता, भावनाओं को जगा देता है?  

ऑफिस का काम निपटा कर हिंदी ब्लॉग पढने लगा ... टिप्पणी द्बारा अपनी उपथिति भी दर्ज करवा दी - मैं आया था आप भी मेरे ब्ग्लोग पे आ के टीप्पणी देना :). कुछ अच्छे आलेख मिले तो जरुर पर थोडा ढूंढना पडा | सोचता हूँ सभी अच्छे और सार्थक आलेख एक जगह हो तो कितना अच्छा हो ? जब सार्थक आलेखों से मन हटाना हो तो सामान्य अग्ग्रीगेटर के सहारे ब्लॉग के समुद्र मैं फिर से डुबकी | सुना है ब्लोगप्रहरी सार्थक आलेखों को एक जगह लाने की तैयारी कर रहा है, ये तो समय ही बतापायेगा की वो कितने सफल हो पाते हैं |

खैर ... शाम होते ही एक मित्र के घर गया, जहाँ भजन कीर्तन और भगवद गीता का प्रवचन था | पहले तो ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों मैं शामिल होने मैं संकोच होता था, यहाँ आने से पहले कभी भजन कीर्तन नहीं किया था सो थोडी संकोच स्वाभाविक रहती थी | समय के साथ ये संकोच जाता रहा और खुशी-खुशी भजन कीर्तन का आनंद लिया | भजन कीर्तन इतना अच्छा था कि कुछ समय के लिए चिंता - तनाव गायब | श्री दानवीर गोस्वामी ( वास्तविक नाम : Dr. Dane Holtzmanm, जी हाँ गोरी चमड़ी वाले अमेरिकन, उनका पूर्ण परिचय यहाँ देखा जा सकता है http://www.rvc.edu/about_danavir_goswami.html ) के भगवद गीता प्रवचन ने ऐसा असर छोडा कि कुछ नौजवान लोग भी गीता के वास्तविक ज्ञान को लेकर उत्सुक दिखे | ...प्रसाद ग्रहण कर सोने से पहले फिर से एक बार ब्लॉग ... ब्लॉग कि लत ही ऐसी है .. छोडे छुटती नहीं |

जब आज कि डायरी लिखने बैठा तब अहसास हुआ कि आज का दिन सफल था या बर्बाद? कई अच्छी बातें डायरी के सहारे याद आई ... | आज की आपाधापी युक्त तनाव से भरे जीवन मैं शायद आज की डायरी अगले दिन को कुछ नए अच्छे अंदाज़ मैं जीने कि प्रेरणा दे | वैसे आज का दिन शायद अच्छा ही होता रहा ... कोशिश करूंगा कि एक बुरे दिन को चुन कर भी डायरी लिखी जाए .. देखते हैं | फिलहाल तो आप ये बताईए कि मेरी ये डायरी कैसी लगी ?

Tuesday, October 20, 2009

धार्मिक स्थलों मैं फोटो खींचने की मनाही क्यूँ जायज है

राजकुमार जी ने आपने पोस्ट मैं मंदिर मैं फोटो खींचने की मनाही को गलत ठहराते हैं | उनकी पूरी पोस्ट यहाँ पढ़ी जा सकती है मंदिरों में फोटो खींचना क्यों मना है?  

उन्होने फोटो खींचने की मनाही को धार्मिक स्थलों के व्यापारिकरन से जोड़ा है | कुछ हद तक उनकी बात भी सही है और मेरा भी मानना है की धार्मिक स्थलों के व्यापारिकरन का विरोध होना ही चाहिए, पर गलत तरीके से फोटो खींचने के प्रचालन को बढावा देकर नहीं |  

जिस किसी भी मंदिर मैं फोटो खींचने की कोई मनाही नहीं रहती है, वहां अक्सर लोगों का नंगापन देखने को मिलता है | लगभग ९०% लोग अपना नितंभ (अपना पिछवाडा) भगवान की मूर्ति की तरफ करके ही फोटो खिंचवाते हैं | फोटो खिंचवाने वाला बड़ा और भगवान् पीछे छोटे | फोटो भगवन की मूर्ति के आगे बैठ कर या मूर्ति के बगल मैं खड़े रह कर भी खिंचवाई जा सकती है | पर ऐसा कोई करता नहीं, क्योंकि हर आदमी को भगवान् के फोटो से ज्यादा अपना फोटो बड़ा दिखाना है |  

भले ही गिने-चुने समझदार लोग सिर्फ भगवान् का फोटो खींचते हो और इसपे कोई मना करे तो बुरा जरुर लगेगा ... पर जरा दुसरे दृष्टिकोण से भी सोचें की मंदिर प्रशासन कितने लोगों को ये समझता फिरे की किस तरह की फोटो allowed होगी और किस तरह की नहीं ?  

एक दूसरा बड़ा कारण ये भी है की आम भारतीय किसी पर्यटन स्थल या अन्य जगहों का वास्तविक आनंद ना लेकर फोटो खींचने मैं ही मशगुल रहते हैं | खैर लोग फोटो खींचे या कुछ और करें ये तो उनका व्यक्तिगत मामला है | पर मंदिर जाने का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए इश्वर से सन्निकटता | इस सन्निकटता मैं मोबाइल फ़ोन या कैमरे की क्या आवश्यकता?  

आये दिन ये देखने को मिलता है की मंदिर मैं भी पूजा के समय भी मोबाइल फ़ोन पे लोग बात करते रहते हैं, इससे अन्य भक्तों को असुविधा होती है | क्या मंदिर मैं २०-१५ मिनट के लिए मोबाइल फ़ोन बंद नहीं रखा जा सकता ? यही कहानी कामो बेश कैमरे पे भी लागू होती है | भगवान् - भक्ति, पूजा पाठ छोड़ कर ज्यादातर लोग फोटो खींचने मैं ही मशगुल हो जाते हैं |

Wednesday, October 14, 2009

कामसूत्र विवेचन : आम धारणाओं से अलग

आम तौर पे कामसूत्र को सिर्फ़ काम और यौन क्रियाओं का पुस्तक माना जाता है | ये सत्य है कि काम क्रियाओं का विस्तार वर्णन है इस ग्रन्थ में, पर धर्म, अर्थ और मोक्ष पर भी चर्चा रोचक और सुन्दर है | आम धारणा (काम क्रियाओं) से हट कर महर्षि वात्सयायन रचित कामसूत्र को देखने का प्रयास है ये पोस्ट | कामसूत्र की कुछ मुख्य बातें बिन्दुवार रुप मैं इस प्रकार रखा है :  

• भारतीय सभ्यता की आधारशिला चतुर्वर्गिय – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है | मनुष्य की समस्त अभिलाषाएँ इन्हीं चारों के अन्तर्गत रहती हैं| इसमें मोक्ष अन्तिम लक्ष्य है | मनुष्य के शरीर के पोषन और संवर्धन के लिए अर्थ की; मन तुष्टि के लिए काम की; बुद्धि के लिये धर्म की और आत्मा के लिए मोक्ष की आवश्यकता पङती है | ये आवश्यकताएं अनिवार्य हैं, अपरिहार्य हैं | क्योंकि बिन भोजन-वस्त्र के शरीर कृश निष्क्रिय बन जाता है | काम बिना स्त्री का मन कुण्ठित – निकम्मा बन जाता है | बिना धर्म (सत्य, न्याय) के बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है | और बिन मोक्ष के आत्मा पतित बन जाता है |  

बिना शरीर के मोक्ष साधना नहीं हो सकती और मोक्ष साधना के बिना अर्थ, काम को सहयोग नहीं मिल सकता | इसलिए मोक्ष की सच्ची कामना रखकर ही अर्थ और काम का उपभोग करना चाहिए | बिना मोक्ष कामना के अर्थ और काम का उपभोग स्वार्थी और कामी लोग ही करते हैं | ऐसे लोगों को समाज, राष्ट्र का शत्रु बताया गया है | ये तो प्रकट ही है की जहां स्वार्थ और कामलोलुपता बढ जाती है, वहीं समाज और राष्ट का पतन हो जाता है |  

• महर्षि वात्सयायन कहते हैं, अर्थ सिद्धि के लिये तरह-तरह के उपाय करने पडते हैं इसलिये उन उपायों को बतानेवाले अर्थशास्त्र की आवश्यकता पडती है | सम्भोग के पराधीन होने के कारण स्त्री और पुरुष को उस पराधीनता से बचने के लिये कामशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता पड़ती है | महर्षि वात्सयायन ने कामसूत्र में मुख्यतया धर्म, अर्थ और काम की व्याख्या की है |  

• कामशास्त्र से ही ये जाना जाता है की संभोग का सर्वोत्तम और आध्यात्मिक उद्देश्य है – पति-पत्नी की आध्यात्मिकता, मनव प्रेम और परोपकार तथा उदात्त भावनाओं का विकास| हिंदू सभ्यता की बुनियाद वेद की शिक्षा ही है | संसार से उतना ही अर्थ और काम लिया जाय जिससे मोक्ष को सहायता मिले | मुमुक्षु को उतने ही भोग्य पदार्थ को लेना चाहिए जितने के ग्रहण करने से किसी प्राणी को कष्ट ना पहुंचे |  

• काम का प्रमुख भाग आकर्षण है अथवा आकर्षण का प्रमुख अंग काम है | यही आकर्षण जब बड़ों के प्रति होता है तो ये श्रद्धा, भक्ति आदि पुनीत भावों मैं दिखाई पड़ता है; यही आकर्षण बराबर वालों के प्रति मित्रता, प्रेम और सखाभाव के रुप मैं परिणत होता है | यही अपनों से छोटों के प्रति दया, अनुकम्पा के रुप मैं प्रकट होता है | वही काम, माता के स्तनों मैं वात्सल्य के रुप मैं, प्रेमी का आलिंगन करते समय कामरुप में और वही काम दिन-दुखियों के प्रति करुणा कृपा के रुप में अवतरित होता है |  

• सूर्य अपनी शक्ति से पृथ्वी का रस ग्रहण करता है और चन्द्रमा धरती पर सुधावर्षण करता है | सौरतत्व स्त्री का रज चन्द्रतत्व मय पुरुष के वीर्य को खींच कर अपने अन्दर धारण करता है | यही स्त्री - पुरुष के परस्पर आकर्षण का मुख्य कारण है |

Wednesday, October 7, 2009

सावधान : शंकराचार्य की अपील - कुरान बांटों और इस्लाम कबुल करो !!!

मैं बकवास कर रहा हूँ, ऐसा सोचने से पहले कृपया कर आप ये यू ट्यूब विडियो देख लीजिए : 

 

अब तो विश्वास हुआ? जब मुझ पर विश्वास हुआ है तो पुरी पोस्ट पढ ही लीजिये | इस विडियो को लगभग २ लाख २० हज़ार बार देखा गया है | और मेरा अनुमान है की कम से कम ४-५% हिन्दुओं ने (मुस्लिम तो शायद ७०%) इसे सच ही माना होगा | डॉ. जाकिर नायक जैसे लोग इन्ही ४-५% लोगों को इस्लाम काबुल करवाने का टारगेट बनाते हैं | जब ८-१० हज़ार लोग जो ये इस प्रकार के विडियो को सच मान लेते हैं, उसमे से कम से हज़ार दो हज़ार तो इस्लाम काबुल कर ही लेते होंगे | यही तो डॉ. जाकिर और उनके चेलों का उद्देश्य है |


जब हमारे शंकराचार्य ही कुरान का प्रचार कर रहे हैं तो हम भी कुरान की सरण में चलें, क्यों? चलिए लगे हाथों ये भी बता दूँ कि ये शंकराचार्य नकली हैं | ये विडियो भी देख ही लीजिए: 






हिन्दुओं के साथ ये धोखा किया है (और आगे भी करते रहेंगें), इस्लाम के जानेमाने विद्वान ज़ाकिर नायक ने | ज़ाकिर नायक या नकली बाबा ने ये नहीं बताया की किस मठ के शंकराचार्य हैं ये? वैसे ढेर सारे लोगों ने भी जाकिर नायक को खुली चुनौती दी है की बताएं ये ढोंगी किस मठ के शंकराचार्य हैं और जिसका जवाब आज तक ज़ाकिर साहब ने नहीं दिया है | ज़ाकिर साहब जवाब देने से हिचकिचा रहे हैं, चलिए मैं ही बता देता हूँ | ये गेरुआ वस्त्र पहना ढोंगी कोई और नहीं बल्कि ज़ाकिर नायक के मदरसे के शंकराचार्य हैं | मदरसे भी अब शंकराचार्य बनाने लगे हैं, ज़ाकिर नायक ने मदरसे मैं क्रांति ला दी है | इस क्रांति पे आप कुछ कहना चाहेंगे?  

As usual our secular brothers will call me wrong or keep quiet. Oh, I fogot seculars may also say Fake Sankaracharyaa is right.  

नोट: अंग्रेजी मैं लिखने के लिए क्षमा चाहूँगा, क्या करूँ सेकुलर ज्यादातर विदेशी भाषा प्रिय है तो उन्हें अंग्रेजी ज्यादा अच्छी समझ मैं आएगी | 

क्षमा चाहूँगा यदि किसी बंधू ने इस विषय पे पहले ही पोस्ट की हो | पर मुझे लगता है कि हर महीने - दो महीने मैं इसपे एक आलेख आना चाहिए | 

Sunday, October 4, 2009

हमास प्रायोजित शादी, क्या ऐसा होता है?

तस्वीरों को देख अनुमान लगाईये, इन मासूम बच्चियों का हाथ किसने पकड़ रक्खा है ? शायद बाप, चाचा, बड़ा भाई, या कोई और सम्बन्धी ही होगा ..., नहीं ... ये रिश्ता कोई और है | १० वर्षों से भी कम उम्र कि लड़कियों का हाथ पकडे कोई और नहीं बल्कि उसका दुल्हा है, जी हाँ | क्या अब भी तस्वीरें खुबसूरत लग रही हैं?




ये सारी तस्वीरें गाजा मैं उस हमास (Islamic Resistance Movement) प्रायोजित विवाह समारोह से ली गई हैं जिसमे ४५० जोडों की शादी कराई गई (अगस्त २००९) | हमास नेता महमूद जहार ने खुद ही दूल्हा-दुल्हन जोड़ी को बधाई दी | हमास की तरफ से हर दुल्हे को $500 (५०० डालर) और दुल्हन को white gown भेंट किया गया |

हमास नेता इब्राहिम सलाफ के मुताबिक - "हमास की तरफ से ये शादी का उपहार उन वीर जवानों के लिए है जो इस्राईल के खिलाफ युद्ध मैं बहादुरी से लड़े हैं" |  

यू ट्यूब विडियो लिंक : http://www.youtube.com/watch?v=RYmtaXQHEtw  

International Center for Research on Women का अनुमान है की लगभग ५ करोड़ child brides दुनिया के सभी देशों मैं हैं, जिसमे ज्यादातर देश इस्लामिक देश ही हैं | 

नोट : क्या इस तरह की खबरों को ब्लॉग का विषय बनाया जाना चाहिए? ये प्रश्न तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब ये देखता हूँ की आज की मीडिया मैं इसे खबर नहीं के बराबर आती हैं | आपकी राय महत्वपूर्ण है |